जुबान, तलब, और दुनिया
वो कौन सी जुबान है जो इस जुबान तो उतरीं पर उस जुबान नहीं|
वो कौन सी तलब है जो इसे तो है और उसे नहीं|
वो कौन सी दुनिया है जो सिर्फ मेरी हैं और है किसी की नहीं|
This is my personal space where I comprehend the world - that I live in - through poetries, prose, art work, and anecdotes from my life.
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