आशा का दीप।
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अंधकार मे बस एक ही कोशिश।
कोशिश यह की जलाया जाएं बस एक दीप।
दीप उम्मीद का।
दीप बेहतर कल का। 
पर जलाएं कौन? 
जलाएं वो जो हैं उलझे इस तम लंबी रात में।
जलाऊं मैं.....
.....जलाएं आप.....
जलाएं हम सब।
निश्चय गेहरी हैं रात।
हैं डरावने वो सारे शोर।
तुफान हैं हर जगह।
खिडक़ी खोल बाहर ना झाकी हम।
कहीं ना डगमगाए हमारा बावरा मन।
हैं जिम्मेवारी, हम भूलों ना।
रखें अजेय उस दिपक को।
जब तक जलें,
काहें ना मनावौं हम दिपावली।

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